Sunday, August 24, 2014

जप

जप
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हे कृष्ण
बैठा था मै तुझे ही याद करने के लिए
दूध वाला, सब्जी वाला
याद आया गॉव का हलवाई
मगर तू याद न आया l
शहर की घुटन ,माँ का आँचल
याद आई दादी के आँगन की चटाई
मगर तू याद न आया l
पत्नी से हुई नोक झोक
याद आई बच्चो की पढ़ाई
मगर तू याद न आया l
कुछ जो जिन्दा है
जो चले गए याद आई उनकी परछाई
मगर तू याद न आया l
भूत से पछताया, भविष्य ने डराया
याद आई वर्तमान की कठिनाई
मगर तू याद न आया l
मगर तू याद न आया ll

… मंत्र प्रेम दास
.... ०८/०८/२०१४

Saturday, April 12, 2014

मेरा सर तेरी कार

"मेरा सर तेरी कार "
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देख के इतनी हाहाकार
मन में मेरे यही विचार
किसकी होगी नय्या पार?
या फिर से होगा अत्याचार
तेरी सरकार मेरी सरकार ………

Sunday, March 11, 2012

दुःखालयमं



चेहरे पर हंसी
दिल रोता है
बनावटी है दुनिया
मायाजाल में उलझे
पग पग में पीड़ा
फिर भी मन
यही खोता है
यह कोई नयी बात नहीं
जनम जनम की कहानी है
हर बार कान पकड़ता हूँ
रोते रोते मरता हूँ
आता हूँ फिर से
दो रोटी की तलाश में
सारा जीवन ढोता हूँ
सत्य पहचाने  बिन
कोल्हू का बैल बन जाता हूँ
और फिर से
...
...
चेहरे पर हंसी
दिल रोता है

Tuesday, May 3, 2011

बेगाना



सारी उम्र उसे सजाया
तपती धूप
बारिस से बचाया
हंसाया ,रुलाया
जब भी रूठा
मन्नतों से मनाया
भगवान हे साक्षी
खुद से ज्यादा बहलाया
बिश्वास था मुझे
ये  मेरे साथ
हर पल रहा है
स्तब्ध हू देखकर.........
............वो चिता पर जल रहा है

Thursday, October 21, 2010

विवशता

विवशता
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दिन रात
पापी
पेट भरता रहा
प्रसाद का कंद न खा सका
हर पल
माला
जपता रहा
मन का द्वन्द न भगा सका
माया के इस
महाजाल में
परमानन्द न पा सका
काम लोभ मद मोह को
अब तक
ठण्ड न दिला सका
बच्चे को
कृष्ण नाम दिया
स्वयं को
नन्द न बना सका
तुम मेरी
मै तेरा  लिखा
भक्ति का इक
छंद न बना सका
हे प्रभु
ये कैसी विवशता
जिसका अब तक
अंत न आ सका

पहचान कौन

पहचान कौन
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खबर थी
पटना में
एक बच्चे पर
दो ओरतों ने किया दावा
एक थी हिन्दू
दूसरी मुसलवान
मै हुआ हैरान
सोच रहा था
कैसे होगा फैसला
तभी
मेरी चार साल की बेटी
मेरे पास आई
बोली.........
यह तो है बहुत ही आसान
बुलाओ उस बच्चे को
और पूछ लो
उसे
बनाया किसने
अल्लाह या .......भगवान

Wednesday, October 20, 2010

अंतिम इच्छा

अंतिम इच्छा
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उस रात
खोया था जब मै अपने मे
श्रीहरी आये मेरे सपने मे
पूछा
वत्स......
इच्छा क्या है तुम्हारी ?
नासमझ  था
सोचा
सोचकर बताऊंगा
जल्दबाजी मे
गलत चीज
पा जाऊंगा
बोला
थोडा समय दीजिये प्रभु
श्रीहरी बोले
तथास्तु..........
उनके थोड़े समय में
मेरे कई जीवन निकल गए
जब तक गलती का आभास हुआ
राह से पैर फिसल गए
जय हो श्रीला प्रभुपाद
चखाया कृष्ण नाम का स्वाद
अब फिर से मेरी कोशिश  है
की जब
श्रीहरी आये मेरे सपने मे
पाए मुझे
हरिंनाम जपने मे