Tuesday, October 19, 2010

प्रगति पथ

प्रगति पथ
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मैंने पूरा पहाढ़ ही
काट डाला
उसे  कोंक्रीट से
पाट डाला
हरे भरे जंगल को साफ़ कर
अपनी प्रगति का परचम
फहरा डाला
भूखे नगे
अभी भी सड़क पर है
उनकी तस्वीरे खींचकर
जिंदगी के बगीचे  को
भावनावो से सींचकर
रेत का महल
बना  डाला
पेट की आग न बुझा पाए
दो टुकड़े चंद्रमा से
पत्थर के ले आये
खुश है सोचकर
की है प्रगति पथ पर
मैंने
इन्सान को
हैवान बना  डाला

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