ज्ञान -विज्ञानं
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हमारा था
खो दिया
नया क्या पाया ?
अच्छी चीज
मिल बाट के न खा पाए
मिट्टी के सेव बनवाए
सब में बटवाए
इन्द्रिया तृप्त हुई न आत्मा
एक महानुभाव ने कहा
इक पंख विज्ञानं का
दूसरा धार्मिक ज्ञान का
ऊची उडान लगायेंगे
मैंने पूछा
दिशा कैसे पायेंगे ?
रखो दोनों पंख विज्ञानं के
धर्म की बनाओ पूँछ
जो देगी दिशा
और दूर होगी निशा
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